जनसंचार से आप क्या समझते हैं जनसंचार की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए



जनसंचार माध्यम क्या है-

जनसंचार को जानने के लिए सबसे पहले हमें संचार के स्वरूप को जानना होगा। तभी हम जनसंचार माध्यम को समझ सकते हैं। एक बार फिर से आप सभी का मेरे वेबसाइट पर स्वागत है। तो चलिए इस पोस्ट के माध्यम से संचार तथा जनसंचार माध्यम को प्रस्तुत करते हैं।

संचार क्या है-

 सूचनाओं का संचार एक मूलभूत मानवीय किया है। संसार के मूल में चर धातु है जिसका अर्थ है विचरण करना। यह विचरण करना अर्थात आना-जाना मनुष्य का भी हो सकता है या किसी भी अन्य प्राणी का भी, ध्वनि का, प्रकाश का। किंतु हम जिस संचार के संबंध में चर्चा कर रहे हैं उसका अर्थ है - मानव के संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना या प्राप्त करना। प्राचीन काल में सूचनाओं को पहुंचाने के माध्यम के रूप में पक्षियों जैसे- कबूतर आदि का उपयोग होता था। संदेशवाहक पैदल चलकर या घुड़ सवारी करके अथवा गाड़ी पर बैठकर संदेश एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाया करते थे।

आधुनिक समय में इन सभी माध्यमों का स्थान मशीनी तकनीकी आधारित व्यवस्था ने ले लिया है। इसके अंतर्गत प्रमुख रूप से आने वाले माध्यम टेलीफोन, टेलीविजन, उपग्रह संचार, इंटरनेट, मोबाइल सेवा, वीडियो कॉन्फ्रेंस, ईमेल इत्यादि प्रमुख है। इनके प्रमुख दो रूप है -
  • दो या दो से अधिक व्यक्ति द्वारा संचार ।
  • उनके बीच किसी संदेश को संप्रेषण / ग्रहण ।
अतः सूचनाओं, विचारों, और भावनाओं को लिखित, मौखिक या दृश्य श्रव्य माध्यम के जरिए सफलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना ही संचार है।

संचार के माध्यम-

"संचार स्वयं एक प्रक्रिया है"। अर्थात एक जगह से दूसरी जगह पहुंचन की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया किसी प्राकृतिक माध्यम के सहारे गति करती है। जैसे- हमारी आवाज, हवा और ध्वनि के सहारे एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचती है। इसी प्रकार प्रकाश तरंगें, स्पर्श संवेदन अदि भी संचार माध्यम है। अर्थात वे उपकरण या साधन जो हमारे संदेश को पहुंचाते हैं, संचार माध्यम कहलाते हैं। उदाहरण - टेलीफोन, रेडियो, दूरदर्शन, मोबाइल, इंटरनेट इत्यादि।

  •  टेलीफोन > इस प्रकार के संचार में ध्वनि संकेतों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक तार अथवा आधुनिक समय में प्रकाशिक तंतु के माध्यम से भेजा जाता है। टेलीफोन का आविष्कार एलेग्जेंडर ग्राहम बेल तथा एटिनियो द्वारा सन 1876 में किया गया था। तार की तुलना में प्रकाशिक तंतु श्रेष्ठतम होता है। तंतु प्रकाशिकी का विकास सन 1975 में बेल प्रयोगशाला में किया गया था।

  • २ेडियो प्रसारण > संचार के इस रूप में शब्दों को विद्युत सिग्नल में परिवर्तित कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पाया जाता है।

  • दूरदर्शन प्रसारण > इस प्रकार के संचार रूप में ध्वनि तथा चित्र दोनों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक वीएचएफ या यूएचएफ रेडियो तरंगों के माध्यम से प्रेषित किया जाता है। इसका आविष्कार सन 1936 में जे. एल. बेयर्ड द्वारा किया गया था।

  • मोबाइल फोन > यह एक लघु वायरलेस फोन पद्धति है जिसका उपयोग संदेशों के आदान-प्रदान तथा मोबाइल टेलीफोन वार्तालाप में होता है।यह सेल्यूलर फोन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह रेडियो इकाई के नेटवर्क के मध्य प्रचलित होता है।

  • ईं-मेल > इसका शब्द विस्तारण और इलेक्ट्रॉनिक मेल है। यह इलेक्ट्रॉनिक लेटर या चित्रों के रूप में सूचनाओं को कंप्यूटर या इंटरनेट सेवा द्वारा भेजने का महत्वपूर्ण तरीका है। इसके माध्यम से हम किसी संदेश या सूचनाओं को गोपनीय रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेज सकते हैं।
यह थे संचार के कुछ प्रमुख माध्यम। जिसके अनुसार हम किसी भी संदेश को कही भी प्रसारित कर सकते हैं।





संचार के मूल तत्व-

  • संचारक या स्रोत > किसी भी संदेश को भेजने वाला संचालक स्रोत कहलाता है। उसका प्रथम गुण है - भाषा की स्पष्टता दूसरा गुण- संदेश को प्राप्तकर्ताओं के अनुकूल कुटिकृत करने की क्षमता।

  • संदेश या एनकोडिंग > संदेश को भेजने वाले के लिए शब्दों, संगीत, या ध्वनि चित्र का उपयोग किया जाता है। भाषा भी एक प्रकार का एनकोडिंग है। एनकोडिंग सफल तभी होगा जब संप्रेषण बिल्कुल स्पष्ट हो। अर्थात संपादक (स्रोत) द्वारा भेजा गया संदेश स्पष्ट रूप से प्राप्तकर्ताओ के लिए तैयार हो।

  • संदेश या डिकोडिंग > एनकोडिंग की उल्टी प्रक्रिया डिकोडिंग कहलाती है। इसके लिए आवश्यक है कि प्राप्तकर्ता भी शब्द (कोर्ड) का वही मतलब समझे जो संपादक समझता हो।

  • प्राप्तकर्ता > प्राप्तकर्ता प्राप्त संदेशों का डिकोडिंग करता है।  डिकोडिंग अर्थात प्राप्त संदेशों में निहित अर्थ को समझने की कोशिश करना।

  • संदेश प्रक्रिया (फिडबैक) > कुटीकृत अर्थात डिकोडिंग संदेश के पहुंचने पर प्राप्तकर्ता प्रतिक्रिया प्रकट करता है। यह आवश्यक है कि संपादक का संदेश बिना किसी बाधा के प्राप्तकर्ता तक पहुंच जाए। यह संदेश प्रक्रिया कहलाती है। इस प्रक्रिया को चित्र द्वारा इस प्रकार समझ सकते है।


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संचार के प्रकार-

1.सांकेतिक संसार-

सांकेतिक संचार का अर्थ है संकेतों द्वारा संदेशों को पहुंचाना। उदाहरण मनुष्य का हाथ जोड़ना,   हाथ मिलाना, सिग्नल देना, लाल एवं हरी बत्ती का प्रयोग करना। इसमें मनुष्य द्वारा अपने शारिरीक अंगो और अन्य उपकरणों का प्रयोग करता है। इस प्रकार के संचार को सांकेतिक संचार कहते हैं।

2.मौखिक संचार-

मौखिक संचार मुख्य द्वारा वक्त ध्वनियों के माध्यम से जो संदेश पहुंचाया जाता है उसे मौखिक संचार कहते हैं। जैसे आपसी बातचीत, टेलीफोन, भाषण देना आदि मौखिक संचार के अंतर्गत आता है।

3. अमौखिक संचार- 

मौखिक संचार के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के संचार साधन अमौखिक संचार साधन कहलाते हैं।उदाहरण लिखित संचार, सांकेतिक संसार, चित्र-फिल्म संचार आदि।

4.अंत: वैयक्तिक संचार- 

एक व्यक्ति के स्वयं अपने आप से बातचीत करना ही अंत: व्यक्तिक संसार कहलाता है। वह वार्तालाप, स्मृतियों, गीतो आदि के माध्यम से स्वयं को व्यक्त करता है। उदाहरण डायरी लेखन, कविताएं, स्वयं के गीत आदि।

5.समूह संचार- 

जब व्यक्ति किसी एक व्यक्ति से नहीं अपितु एक से अधिक व्यक्तियों से बात करता है या किसी समूह के सदस्य आपस में विचार-विमर्श करते हैं, तब उसे समूह संचार करते हैं। उदाहरण कक्षा में पढ़ना या पढ़ाना, किसी संस्था का बैठक, भाषण या जुलूस आदि।

6.जन संचार- 

जब हम किसी समूह के साथ प्रत्यक्ष संवाद करने के बजाय किसी यांत्रिक माध्यम से संवाद स्थापित करते हैं तो, उसे जनसंचार कहते हैं। उदाहरण समाचार पत्र, पत्रिका, रेडियो, फिल्म, दूरदर्शन, इंटरनेट इत्यादि।



जनसंचार के प्रमुख कार्य-

  • सूचना देना > जनसंचार माध्यमों का प्रथम और प्रमुख कार्य सूचना देना है। जैसे समाचार पत्र इंटरनेट दूरदर्शन इत्यादि।

  • मनोरंजन करना > रेडियो और दूरदर्शन के अविष्कार के बाद भारत की अधिकांश जनता इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों का उपयोग मनोरंजन के लिए करती है।

  • निगीरानी करना > जनसंचार माध्यम समाज के किसी भी समस्या के विरुद्ध जनमत तैयार करती है। जैसे सरकार के विरुद्ध, धर्म केंद्र या किसी संस्था के अनैतिक कार्य के विरुद्ध जनमत बनाती है।

  • सूचित करना > जनसंचार माध्यम जनता को शिक्षित तथा सहज बनाती है। इसके साथ-साथ नहीं जानकारी देना जनसंचार का कर्तव्य है।

  • एजेंडा तैयार करना > जनसंचार माध्यम योजना पूर्वक किसी मुद्दे को व्यापक महत्व देकर समाज को किसी खास दिशा में मोड़ देने का कार्य करती है।

  • विचार-विमर्श करना > जनसंचार के माध्यम विभिन्न मतों पर विचार का आदान-प्रदान भी कराती है। एक और मुख्य संपादक संपादकीय लिखकर तथा प्रसिद्ध विद्वानों के लेख प्रकाशित कर जनता को प्रभावित करती है।


 

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