शिक्षा क्या है, शिक्षा की परिभाषा तथा शिक्षा के क्या उद्देश्य है। शिक्षा के महत्व समझिए।



Education kya hai (शिक्षा क्या है)/ What is education

      एजुकेशन (शिक्षा) का महत्व इन दिनों बहुत उपयोग में है। लगभग हर किसी को इसके बारे में जानकारी होना चाहिए। स्कूल चाहे सरकारी हो या निजी शिक्षण संस्थान- छात्रों से भरे होते हैं। एजुकेशन मनुष्य के दैनिक जीवन के हर फिल्ड में व्याप्त है।

शिक्षा की परिभाषा -

      "एजुकेशन अपने आप में एक उद्देश्य नहीं बल्कि हमारे जीवन जीने के विभिन्न तरीकों को एक लाने का उत्तम साधन है, इस प्रकार की शिक्षा ही वास्तविक शिक्षा कहलाती है।"

       लेकिन शिक्षा की इस बढ़ती हुई इच्छा के बावजूद शायद ही कोई जानता हो कि शिक्षा वास्तव में क्या है?, क्या अब तक शिक्षा ने हमें कोई अच्छा काम दिया है? यदि हां तो क्या यह उस पर खर्च किए गए श्रम और धन के अनुपात में हैं? 
       मेरे अनुसार कोई भी वास्तव में यह दावा नहीं कर सकता कि हमारे स्कूल और कॉलेजों में शिक्षा की वर्तमान प्रणाली इस परिणाम का उत्पादन करती है।


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 शिक्षा का महत्व क्या है -

        शिक्षा को अपने स्वयं के ध्वनि चरित्र के निर्माण में मदद करनी चाहिए। इसके विपरीत स्कूलों में अपने चरित्र के अच्छे गुणों को खोने वाले युवकों के कई उदाहरण है। मुझे लगता है कि जब तक छात्रों के स्कूल और घरों के बीच कोई सहमति नहीं है तब तक भी दोनों तरफ से पीड़ित रहेंगे। स्कूल और कॉलेजों में हम जो सीखते हैं और जो अपने घर में लिखते हैं उससे पूरी तरह असंगत है। इसलिए स्कूल का जीवन घर के जीवन से बिल्कुल विपरीत है।

       हमारे माता-पिता यह जानने के लिए उपेक्षा करते हैं कि स्कूल में क्या पढ़ाया जाता है ? ना ही उन्हें इसकी परवाह है। पढ़ाई पर खर्च किया गया श्रम व्यर्थ है। बस इसे अंतिम परीक्षा के लिए गुजरना पड़ता है। और यह परीक्षा एकबार खत्म हो गया तो क्या वह जो सीखा है उसे भूल जायेगा ? 
        इन समस्याओं में से एक प्रमुख मुद्दा शिक्षा का माध्यम है। भारत में मैट्रिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने में लगभग बारह वर्ष लगते है। लेकिन इस लम्बी अवधि में ज्ञान और जीवन का सबक दयनीय रुप से अपर्याप्त है। इसके अलावा हम उस लम्बी अवधि के ज्ञान को एकीकृत करने का भी प्रयास नहीं करते जो हमें करना चाहिए।

शिक्षा का उद्देश्य क्या है -



      वर्तमान शिक्षा प्रणाली ने हमारे और हमारे परिवारों के बीच कई प्रकार की समस्या उत्पन्न कर दी है। जैसे हमारे माता पिता के लिए , हमारे परिवारो में दूसरो के लिए और हमारे समाज के लिए - जिनके साथ हम अपने जीवन के बड़े हिस्से व्यतीत करते हैं। हमारी स्कूली शिक्षा छिपी हुई संपत्ति की तरह हो गई है। तो क्या शिक्षा की वर्तमान व्यवस्था गलत है ?


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       शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होने से छात्रों के मस्तिष्क पर बोझ दोगुना हो गया इसने उनकी कल्पना शक्ति को नष्ट कर दिया है - बनाने की शक्ति और अविष्कार करने की शक्ति। हमारा पूरा समय एक विदेशी भाषा के उच्चारण और मुहावरे को सीखने में लगा है। हमें रूस, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया और जापान जैसी प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। इन देशों में कुछ चुने हुए लोग की अंग्रेजी का उच्च ज्ञान प्राप्त करते हैं। जो देश-विदेश के क्षेत्र में कार्यरत व्यक्ति जरूरी सूचनाओं को अपने भाष़ा में अनुवाद करते हैं।


       सबसे अच्छी शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से प्रदान की गई शिक्षा होती है। जब हम अपनी भाषा के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करते हैं तो घर के लोगों के साथ हमारे संबंध एक अलग चरित्र पर आधारित होगी। मात्री भाषा के माध्यम से हम एक दूसरे के भावनाओं को समझ सकते हैं तथा सहायता भी कर सकते हैं। मातृ भाषा की शिक्षा में संस्कृति, सभ्यता, सम्मान एवं सामाजिक कार्यक्रम से संबंधित गतिविधियों को समझने का ज्ञान प्राप्त होता है।

         हम परीक्षा पास करने के पश्चात अपनी आजीविका के लिए निर्भर रहते हैं। इससे लोगों को काफी नुकसान होता है। हम यह भूल जाते हैं कि एक डिग्री केवल उन लोगों के लिए उपयोगी है जो सरकारी सेवा के लिए जाना चाहते हैं। लेकिन सरकारी सेवा लेने वाले लोगों के जीवन का लाभ नहीं उठाया जा सकता है। हम देखते हैं कि लोग सरकारी सेवा में ना जाकर भी अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। 
     
            काफी लोग लगभग अनपढ़ हैं और वे अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई से करोड़पति बन सकते हैं। तो कोई कारण नहीं है कि शिक्षित भी ऐसा नहीं कर सकते यदि शिक्षित केवल अपना डर छोड़ देंगे तो भी निश्चित रूप से सक्षम साबित हो सकते हैं।

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