भारत की नई शिक्षा नीति क्या है-
ज्ञान के किस युग में शिक्षा शोध एवं नवाचार महत्वपूर्ण है।भारतीय संविधान के अनुसार शिक्षा हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। इस नई शिक्षा नीति द्वारा *एक भारत श्रेष्ठ भारत* की भावना का सम्मान करते हुए इस नई शिक्षा नीति को घोषित किया गया है। तो चलिए इस पोस्ट के माध्यम से हम भारत की नई शिक्षा नीति में क्या के बदलाव हुए हैं तथा इसके उद्देश्य को जानने प्रयास करते हैं। आशा करता हूं कि यह पोस्ट आपको पसंद आएगा।
नई शिक्षा नीति 2020-
भारत की नई शिक्षा नीति जिसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई सन 2020 को घोषित किया गया। सन 1986 में लागू हुई शिक्षा नीति के बाद यह पहला परिवर्तन है।भारत की पुरानी शिक्षा नीति 34 वर्ष पुरानी है, इस कारण भारत सरकार द्वारा नए भविष्य तथा स्थिति की आवश्यकताओं को देखते हुए शिक्षा नीति में बदलाव की घोषणा की। यह शिक्षा नीति इसरो (ISRO) के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
यही कारण है कि भारत में नई स्तर की शिक्षा नीति घोषित की गई है। जिससे शिक्षा स्तर को बढ़ावा मिल सके तथा इसका पूरा लाभ हमारे छात्रों को भविष्य में दिला सके।...वैसे तो हमारे भारत देश में समय-समय पर शिक्षा नीति को बदला जाता रहा है। भारत में पहली शिक्षा नीति में परिवर्तन श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा सन 1968 में किया गया। दूसरी शिक्षा नीति में परिवर्तन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा सन 1986 में किया गया।
नई शिक्षा नीति के नियम-
नई शिक्षा नीति के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं-
- नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षा का सकल घरेलू उत्पाद 4.3% को बढ़ाकर 6% किया जाएगा।
- नई शिक्षा नीति के अनुसार अब पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई मातृ भाषा में होगी।
- नई शिक्षा नीति के अनुसार म्यूजिक और आर्ट्स को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा तथा बढ़ावा भी दिया जाएगा।
- नई शिक्षा नीति के तहत E-पाठ्यक्रम को बढ़ावा दिया जाएगा । जिससे शिक्षा को एक बडे लेवल पर ले जाया जा सके।
- नई शिक्षा नीति में अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नाम को बदलकर शिक्षा मंत्रालय रखा गया है।
- नई शिक्षा नीति के अनुसार 2030 तक उच्च शिक्षा का सकल उत्पाद को 50% पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। जो वर्ष 2018 के अनुसार 26.3% है।
- भारत की नई शिक्षा नीति के अनुसार छठी क्लास से ही वोकेशनल कोर्स शुरू कर दिया जाएगा। इच्छुक विद्यार्थी छठी क्लास के बाद ही इंटरशिप कर सकते हैं।
- मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम के अनुसार 1 साल के बाद पढ़ाई छोड़ने पर सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा तथा 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। इससे देश में ड्रॉपआउट रैश्यो कम होगा।
- लॉ और मेडिकल को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एकल संकाय के रूप में भारत सरकार द्वारा उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया गया है। उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीट जोड़ी जाएंगी।
- नई शिक्षा नीति के अनुसार अब कोई भी छात्र किसी भी कोर्स को बीच में छोड़कर अन्य दूसरे कोर्स में एडमिशन लेना चाहेगा तो वह पहले कोर्स को एक निश्चित समय तक छोड़ सकता है तथा दूसरे कोर्स कंप्लीट के बाद फिर से पहले कोर्स जारी रख सकता है।
नई शिक्षा नीति के प्रमुख उद्देश्य-
देश में रिसर्च और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के (NSF) के अनुसार भारत में भी नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) की स्थापना की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाएगा। इसके माध्यम से बड़े प्रोजेक्ट की स्थापना पर ध्यान दिया जाएगा। इसमें मुख्य रूप से भारत सरकार तथा बोर्ड स्टाफ गवर्नेंस शामिल होंगे।
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भारत की नई शिक्षा नीति के लाभ-
नई शिक्षा नीति द्वारा भारत के आधुनिक युग में आवश्यकता एवं परिस्थिति को ध्यान में रखकर इस पर फैसला लिया गया है। जिससे विद्यार्थियों के रोजगार में बढ़ोतरी हो सके। भारत की नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार बच्चों में बहुआयामी प्रतिभा निखारने, प्रतिभा जागृत करने, आत्म निर्भर बनाने एवं विश्लेषणात्मक तार्किक शिक्षा को विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। उच्च शिक्षा में मल्टी एंट्री एवं एग्जिट व्यवस्था छात्रों के अध्ययन समय काल को नुकसान होने से बचाएगी। भारत की नई शिक्षा नीति छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
Thanks for Reading
Mast
ReplyDeleteGood post
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteNew Police is better than before
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