ताजमहल का इतिहास/ ताजमहल का निर्माण कब हुआ।

 ताजमहल का इतिहास 

भारतवर्ष अपनी संस्कृति एवं परंपराओं के लिए विश्व व्याप्त है। भारत में सनातन वर्ष से ही धार्मिक कार्यक्रम एवं संस्कृति को पूजा जाता २हा है। भारत वर्ष में उपस्थित ऐसी ऐतिहासिक धरोहर जो विश्व में अपनी सुंदरता के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। आज हम इस सुंदरता रूपी धरोहर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे है। तो चालिए शुरू करते है। इस पोस्ट के माध्यम से हम भारतवर्ष की ऐतिहासिक धरोहर एवं सामाजिक परंपराओं से युक्त ताजमहल का इतिहास समावेश करने जा रहे हैं - 



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ताजमहल का निर्माण कब हुआ था

ताजमहल का निर्माण उस समय हुआ जब हमारे भारत पर से मुगल बादशाहों का बोलबाला था। वैसे तो मुगल शासन काल अपने कलाकृति और अद्भुत शिल्प कलां के लिए भी जाना जाता है। मुगल शासन काल में मुगल बादशाहों के द्वारा बनाए गए मकबरे आज भी भारतवर्ष की ऐतिहासिक धरोहर एवं सांस्कृतिक परंपराओं से युक्त कलाकृति को प्रदर्शित करता है। जैसे हैदराबाद का चारमीनार, दिल्ली का लाल किला, प्रथम मुगल बादशाह बाबर द्वारा जावा मस्जिद, शेरशाहसूरी महल आदि।

ताजमहल का निर्माण 5वें मुगल बादशाह शाहजहा के शासनकाल (1628 -1658) मेें सन 1632 से शुरू हुआ और सन 1643 निर्माण कार्य संपन्न हुआ। परियोजना के अन्य चरणों में 10 वर्ष लग गया। सन् 1653 में ताजमहल का निर्माण पूर्ण रुप से संपन्न हुआ। ताजमहल आगरा में यमुना नदी के किनारे 17 हेक्टेयर (42 एकड़) में बना हुआ है जिसमें एक गेस्ट हाउस और एक मस्जिद है। ताजमहल अपने आप में अनुपम सौंदर्य है।

ताजमहल कहां स्थित है

ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले में स्थित है। ताजमहल आगरा यमुना नदी के दक्षिण तट किनारे 17 हेक्टेयर में बना हुआ स्थान है। जिसे ताजमहल का परिसर भी कहा जाता है। उसी स्थान पर एक मस्जिद और गेस्ट हाउस भी शामिल है। आगरा पहुंचने के लिए आप रेल मार्ग, हवाई मार्ग, बस मार्ग किसी भी माध्यम से आप कहां विजिट कर सकते हैं तथा ताजमहल केे अनुपम सौंदर्य का दृश्य पान कर सकते हैं।

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ताजमहल किसने बनवाया है

ताजमहल को बनवाने के पीछे शाहजहां की दूसरी पत्नी मुमताज महल थी। शाहजहां अपनी बेगम मुमताज महल से असीम प्रेम करते थे। मुमताज महल परसिया देश की राजकुमारी थी। जिससे शाहजहां नेेेे निकाह किया था। मुमताज महल के मृत्यू के बाद शाहजहां को भयानक दुःख हुआ। उसी समय शाहजहां ने अपनी पत्नि मुमताज़ के स्मरण में महल बनवाने निर्णय लिया। जिसका नाम अपनी बेगम मुमताज महल के नाम पर ही ताजमहल रखा।

शाहजहां ताजमहल को एक अद्भुत सौंदर्य देना चाहते थे। इसलिए ताजमहल को बनवाने के लिए शाहजहां ने 37 कुशल कारीगर बुलवाए थे। जो बगदाद, बुखारा, तुर्की, समरकंद जैसे देशों के कुशल कारीगर थे। 20000 मजदूरों के प्रति दिन की मेहनत से ताजमहल का निर्माण कार्य सन 1643 तक संपन्न हुआ। ताजमहल के लिए कीमती सामग्री जैसे संगमरमर, लाल रत्न, आदि अफगानिस्तान, तुर्की, म्यामार जैसे देशों से मंगवाए गये थे।

ताजमहल का मुख्य गुंबद 60 फीट ऊंचा तथा 80 फीट चौड़ा है। ताजमहल पूर्णिमा की रात में अपनी रंगीन छटा बिखेरती है जो देखने योग्य होता है। इस समय भारी संख्या में पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है। प्रतिवर्ष यहां देश-विदेश से लगभग 7 से 8 मिलीयन पर्यटकों का आकर्षण केंद्र बना है।

ताजमहल पर अम्ल वर्षा का प्रभाव 

 संगमरमर पत्थर से बनी ताजमहल की चमक कम पड़ती जा रही है इसका मुख्य कारण है आसपास में स्थित बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाली विषैली गैस जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड आदि अम्ल वर्षा का कारण बनते हैं। ताजमहल पहले प्योर सफेद दिखाइ देता था पर अम्ल वर्षा के कारण इसका रंग हल्का पीला पड़़ता जा रहा है।

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ताजमहल की प्रसिद्धि 

ताजमहल अपनी खूबसूरती, अद्भुत कलाकृति एवं ऐतिहासिक धरोहर के रूप में पूरे विश्व में विख्यात है। ताजमहल की प्रसिद्धि भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त है। ताजमहल के आश्चर्य को देखकर इसे विश्व के सात आश्चर्य में शामिल किया गया। सन 1983 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल के रूप में शामिल किया गया है। सात आश्चर्य में ताजमहल टाप पर है। ताजमहल भारत के मुख्य पर्यटकों से होने वाली आय के स्रोतों में मुख्य भूमिका निभाती है।

               
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